झुंझुनूं विधानसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी राजेन्द्र भांबू जीते:कांग्रेस के अमित ओला को 42,848 वोटों से हराया, गुढ़ा तीसरे नंबर पर रहे
- FM JHUNJHUNU
- Nov 23, 2024
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झुंझुनूं, (23 नवम्बर 2024)। झुंझुनूं विधानसभा सीट पर भाजपा ने अभी तक की सबसे बड़ी जीत हासिल की है। भाजपा प्रत्याशी राजेन्द्र भांबू ने कांग्रेस के अमित ओला को 42 हजार 848 वोटों के अंतर से हराया है। इससे पहले 2018 में कांग्रेस के बृजेन्द्र ओला ने 40 हजार 565 मतों से जीत दर्ज की थी।
यह सीट 21 साल बाद भाजपा की झोली में गई है। लगातार 4 बार जीतने के बाद कांग्रेस उप चुनाव में हार गई। झुंझुनूं सीट हमेशा से कांग्रेस की परंपरागत सीट मानी जाती है। यहां वर्ष 2003 में आखिरी बार भाजपा को जीत मिली थी। उसके बाद से यहां कमल नहीं खिल पाया था।
बृजेन्द्र ओला के सांसद बनने पर झुंझुनूं सीट पर उपचुनाव हुए थे। वे विधानसभा में लगातार चार बार चुनाव जीत चुके थे। लेकिन ये हार कांग्रेस और ओला परिवार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
मुस्लिम वोटर्स की नाराजगी, बडे़ नेताओं की दूरी कांग्रेस की हार सबसे बडा कारण कांग्रेस के परंपरागत वोट अल्पसंख्यक वोटर्स की नाराजगी रही। वे झुंझुनूं से कांग्रेस की टिकट की मांग कर रहे रहे थे। टिकट नहीं मिलने पर नाराजगी बढ़ गई। दूसरा कारण पूर्व मंत्री राजेन्द्र सिंह गुढ़ा के निर्दलीय चुनाव लड़ना रहा। वे कांग्रेस के परंपरागत वोटर्स को कुछ हद तक अपनी ओर खींचने में कामयाब रहे। जबकि भाजपा वोट बैंक अपने जगह से नहीं खिसका। कांग्रेस एक भी बडे़ नेता ने झुंझुनूं में सभा नहीं की।

चार दशक के उपचुनाव का ट्रेंड
जिले में आमचुनाव में जिस पार्टी का विधायक जीता, उपचुनाव में उस पार्टी की हार हुई। जिले में अब तक हुए 5 उपचुनाव को देखा जाए तो इनका परिणाम आमचुनाव के विपरीत ही रहा है। जिले में चार उपचुनाव विधायकों के सांसद चुने जाने पर हुए हैं। जबकि दो चुनाव विधायकों के निधन हो होने से रिक्त हुई सीटों पर हुए हैं।
इन सभी चुनावों में विधानसभा चुनाव के समय जिस पार्टी का विधायक जीता, उपचुनाव में उस पार्टी की हार हुई। जिले में पिछले 28 साल के दौरान चार विधायकों के सांसद बनने पर उपचुनाव हुए हैं। यह चुनाव झुंझुनूं, सूरजगढ़, मंडावा में हुए हैं। इनमें शीशराम ओला के सांसद बनने पर झुंझुनूं, संतोष अहलावत के सांसद बनने पर सूरजगढ़ व नरेंद्र कुमार खीचड़ के सांसद चुने जाने पर मंडावा में उपचुनाव हुए। वहीं अब बृजेंद्र ओला के सांसद बनने पर झुंझुनूं सीट पर उपचुनाव हुए है। इससे पहले 1988 में खेतड़ी के तत्कालीन विधायक मालाराम के निधन होने पर खेतड़ी में और 1982 में मंडावा के तत्कालीन विधायक लच्छुराम के निधन पर मंडावा में उपचुनाव हुए थे।

ये रहा उपचुनाव का ट्रेंड
झुंझुनूं विधानसभा सीट से 1993 में शीशराम ओला कांग्रेस से विधायक चुने गए। उन्होंने भाजपा के सांवरमल वर्मा को 22898 मतों से हराया। 1996 में हुए लोकसभा चुनाव में शीशराम ओला तिवाड़ी कांग्रेस से सांसद बन गए। इसके बाद 1996 में हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने बृजेंद्र ओला को टिकट दिया। यहां भाजपा के डॉ. मूलसिंह शेखावत करीब 12500 से अधिक वोटों से जीत गए। कांग्रेस के बृजेंद्र ओला को हार का सामना करना पड़ा था।
सूरजगढ़ 2013 के चुनाव में भाजपा की संतोष अहलावत 50219 मतों के अंतर से विधायक चुनी गई। उन्होंने कांग्रेस के श्रवणकुमार को हराया। 2014 के लोकसभा चुनाव में वे भाजपा की टिकट पर सांसद चुन ली गई। तब सितंबर 2014 में हुए उपचुनाव में भाजपा ने यहां से डॉ. दिगंबर सिंह को टिकट दिया। कांग्रेस के श्रवण कुमार ने 3270 वोटों से जीत हासिल की।
2018 में मंडावा में भाजपा के नरेंद्र कुमार खीचड़ 2346 मतों के अंतर से चुनाव जीतकर विधायक बने। उन्होंने कांग्रेस की रीटा चौधरी को हराया। 2019 में नरेंद्र कुमार खीचड़ सांसद चुन लिए गए। इसके बाद हुए उपचुनाव में भाजपा ने सुशीला सीगड़ा को मैदान में उतारा। कांग्रेस ने रीटा चौधरी को। जिसमें रीटा चौधरी ने 33704 वोटों से जीत हासिल की।
अब बृजेंद्र ओला के सांसद बनने पर झुंझुनूं सीट पर उपचुनाव हुए थे। कांग्रेस ने अमित ओला को प्रत्याशी बनाया था। लेकिन वे भी हार गए। जो ट्रेंड पिछले उपचुनाव का रहा। वही इस चुनाव में दिखा। यानी जिले में आम चुनाव में जिस पार्टी का विधायक जीता, उपचुनाव में उस पार्टी की हार हुई है।
खेतड़ी-मंडावा में विधायकों के निधन के कारण हुए उपचुनाव खेतड़ी में 1985 में भाजपा के मालाराम विधायक चुने गए थे। वे 3266 वोटों के अंतर से जीते। उन्होंने कांग्रेस के नरेश पाल सिंह को हराया। उनके निधन के बाद 1988 में हुए उपचुनाव में कांग्रेस के डॉ. जितेंद्र सिंह विधायक चुने गए थे। उपचुनाव में भाजपा के हजारीलाल गुर्जर को हार का सामना करना पड़ा था। मंडावाः 1980 के विधानसभा चुनाव में मंडावा से जनता पार्टी (सेक्यूलर) के लच्छूराम विधायक बने थे। वे 1593 वोटों के अंतर से जीते थे। उन्हें 28753 वोट मिले, जबकि रामनारायण चौधरी 27160 मत मिले। उनके निधन के बाद 1982 में हुए उपचुनाव में कांग्रेस के रामनारायण चौधरी जीते थे।
पार्टी | प्रत्याशी | वोट |
भाजपा | राजेन्द्र सिंह भांबू | 90425 |
कांग्रेस | अमित अेला | 47577 |
निर्दलीय | पूर्व मंत्री राजेन्द्र सिंह गुढ़ा | 38751 |
आजाद समाज पार्टी | आमीन मणियार | 2043 |
निर्दलीय | दान सिंह शेखावत | 1286 |
राष्ट्रीय मंगलम पार्टी | मधु मुरारका | 265 |
निर्दलीय | अमित | 144 |
निर्दलीय | कैलाश दास महाराज | 159 |
नोटा | नोटा | 1352 |





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